ग्राम सकारात्मक और ग्राम नकारात्मक जीवाणुओं में अन्तर ।
प्रकृति में विभिन्न प्रकार के जीवाणु पाये जाते हैं।इन सभी जीवाणुओं का एक साथ अध्ययन करना मुश्किल भरा काम है ।इसलिए इनके अध्ययन को आसान बनाने के लिए इनकी प्रगति,आकार, प्रजनन, भोजन का प्रकार, कोशिका भित्ति के आधार पर इनको अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है।इसी तरह से जीवाणुओं को उनकी कोशिका भित्ति के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है ।
1.ग्राम सकारात्मक
2.ग्राम नकारात्मक
- ग्राम सकारात्मक जीवाणु:- ग्राम सकारात्मक जीवाणुओं कि कोशिका भित्ति 200 A° से 300 A° तक मोटी होती है । जो कि पोलीपेपटाइड् से बनी एकल चिकनी परतीय होती है।इसमें 85% म्यूकोपेप्टाइड् एवं 1-2 % लिपिडस् पाया जाता है। ग्राम सकारात्मक जीवाणुओं में टइकोईक एसिड उपस्थित होता है।एवं बहारी झिल्ली अनुपस्थित। ये एंटीबायोटिक के प्रति अधिक संवेदनशील होती है । ग्राम स्टैनिग करने पर ये क्रिस्टल वाँयलेट के बैगनी रंग को नहीं छोड़ती हैं । क्योंकि इसकी कोशिका भित्ति पॉलिपेप्टाइड कि मोंटी परत से बनी होती है। जो क्रिसटल वाँयलेट के रंग को छोड़ने नहीं देती है। ओर ग्राम सकारात्मक एवं जीवाणुओं को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर वह बैगनी रंग के दिखाई देते हैं।ओर ये गोल व बीजाणु बनाते हैं ।
उदाहरण:- ,लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया, बिफिडो बैक्टीरिया,स्टेफाइलोकोकस बैक्टीरिया, क्लोस्टडियम बोटूलिनम,
- ग्राम नकारात्मक जीवाणु:-ग्राम नकारात्मक जीवाणुओं कि कोशिका भित्ति 100-200 A° मोटी होती है।ओर म्यूकोपेप्टाइड 10-12% व लिपिडस् 80-90% तक पाया जाता है ।ग्राम नकारात्मक जीवाणुओं में टइकोईक अम्ल अनुपस्थित होता है ।वह बहारी झिल्ल उपस्थित रहतीं हैं ।ये एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधक होती है,क्योंकि इसकी भित्ति अभेद्य है ।ग्राम स्टैनिग करने पर ये क्रिसटल वाँयलेट के रंग को छोड़ने देते हैं ।वह कलरलैस हो जाते हैं ।कयोंकि इनकी कोशिका भित्ति बहुत पतली होती है।जो कि क्रिसटलवाँयलेट के बैगनी रंग को नहीं पकड़ पातीं है ।ओर क्रिसटल वाँयलेट का बैंगनी रंग एल्कोहल से धोनें पर बहार निकल जाता है । ये बीजाणु नहीं बनाते हैं।