घर पर बीयर कैसें बनायें,सीखें आसान भाषा में यहाँ,

 जानियें बीयर कैसे बनता है और ये शरीर के लिए कितना फायदेमंद है।

बीयर एक एल्कोहलिक पेय पदार्थ है। जिसे विश्व में सर्वाधिक पसंद किया जाता है, बीयर बनाने कि प्रकिया को "ब्रुइग" कहतें हैं। ब्रुइग माल्ट पदार्थों के उत्पादन कि प्रकिया है ।

बीयर शब्द anglo saxon ward called beer-barly से लिया गया है,बीयर बनाने में मुख्यतया जौ कि माल्ट या गेहूं कि माल्ट का प्रयोग किया जाता है,कीमत को कम करनें के लिए नाॅन माल्टेड पदार्थ जैसे मक्का etc.को भी मिलाया जाता है। बीयर बनाने में समान्यता "शर्करा" (कार्बोहाइड्रेट) का प्रयोग होता है। लेकिन स्टार्च युक्त पदार्थो  का भी प्रयोग किया जा सकता है जिसमें स्टार्च को शर्करा (कार्बोहाइड्रेट) में परिवर्तित किया जाता है।

बनाने कि विधि (processing):-

1 malting:- 

जौ के दोनों से बीयर बनाई जाती है जिसमें  जौ को को पानी में 2-3 दिनों तक भिगोया जाता है। फिर इन्हें साफ करतें हैं। तथा 4-5 दिन में इनमें अंकुरण होता है।

जिससे दानों में उपस्थित अल्फा एमाइलेज ,बीटा एमालेज व प्रोटियेज एंजाइम सक्रिय हो जाते हैं। जो बीयर के रंग/रूप/स्वाद में सहायक होते हैं। अगर सिर्फ जौ इस्तेमाल करके बीयर बनाई जाती है तो यह बीयर अधिक गहरे रंग(dark color) की हो जाती है,माल्ट व प्रोटीन के कारण इसलिए इसमे स्टार्च+शर्करा+सिरप मिलाते हैं,

अंकुरित बीजों को अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है।जिसे "किलनिग"(kilnige) कहते हैं। अगर तापमान अधिक होता है ।तो बीयर Dark color की होगी।

2. meling:-

जौ के सुखें हुए दानों को रोलर कि सहायता से पीसकर (मोटा) पाउडर बनाते हें ।जिसें "ग्रिस्ट" कहा जाता है।

3. messing:- 

जौ कि ग्रिस्ट को 1 घंटे तक गर्म पानी के साथ लगभग °C temperature पर रखा जाता है ।

इस प्रकिया में एमाइलेज एंजाइम सटार्च को मालटेज व डेक्सट्रेज में परिवर्तित करता है। प्रोटियेलेज एंजाइम प्रोटिन को एमीनो अम्लों में  परिवर्तित करता है, मैशिग(messing) द्वारा प्राप्त  तरल पदार्थ को "वाॅट"(wort) कहते हैं। यहाँ पर अशुद्धियों को हटाया जाता है।

वार्ट को लगातार 2-3 तीन घंटे तक उबाला जाता है तथा इसी समय उबलतें हुए वार्ट में "हाॅप" के फूलों को मिलाया जाता है।हाॅप(humulus-lupulus) के मादा पुष्प को मिला कर बीयर के रंग/रूप/स्वाद को बढाया जाता है। इसमें पेक्टीन होता है जौ कि बीयर में झाग आनें के लिए जिम्मेदार है। Co2 कि वजह से भी बीयर में झाग आते हैं।

4.किण्वन(fermentation):- 

बीयर एक fermented products है, fermentation के लिए इसे 14 दिनों तक 2-3°c तापमान पर रखतें है,इसके किण्वन (fermentation) के आधार पर इसे दो भागों में बांटा गया है।

fermentation प्राकिया में शर्करा ,इथेनॉल व कुछ Co2 में टुट जाती है,सामान्यत बीयर में 4% के आसपास ऐलकोहल होती है।

(a) top fermenting:-

 इसमें सैकेरोमायसिस सेरेवेसी(saccharomyces-cerevaciae) का use किया जाता है,व इसे 2-6°c पर रखतें है 

(b) bottom fermenting:-

इसमें सैकेरेमायसिस कार्ल बर्गन्सिस(saccharomyces-carl-bargecies) का use किया जाता है,व इसे 15-19°c पर रखतें है !

बीयर पीने के क्या क्या फायदे हैं:-

जैसा कि हम लोग जानतें हैं बीयर एक "किण्विन"(fermentad) उत्पाद है तो जाहिर से बात है इसके अनगिनत फायदे होंगे। बीयर को हर दिन की डाइट में सामिल किया जायें तो इसके बहुत फायदे देखने को मिलतें हैं। हम यहाँ बीयर के कुछ महत्वपूर्ण फायदो के बारे में चर्चा करतें हैं ।

1.बीयर हमारे शरीर से खराब कॉलेस्ट्रॉल को हटाता है,ओर रक्त को साफ करता है।

2.बीयर विटामिन-बी का बहुत अच्छा साॅर्स है। बीयर से हमें भरपुर मात्रा में विटामिन-बी मिलता है।

3.पतरी को बहार निकालता है।

4.बीयर हमारे रक्त में शर्करा के स्तर को कम करती है जिससे डायबीटीस मेरिज को आराम मिलता है।

5.बीयर हमारी दिल में होने वाली बीमारियों से भी सुरक्षा करतीं हैं।

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